डाल - डाल बौराई, देखो होली में ।
हवा बही फगुआई, देखो होली में ।
पायल बाँधे आये झोंके फगुआ के,
घुँघरू सी छनकाई, देखो होली में ।
घूम रहे हैं गली-गली, हर मोड़-मोड़ पर,
राधा और कन्हाई, देखो होली में ।
साली-जीजा खेल रहे रंग घर-आँगन,
देवर औ' भौजाई, देखो होली में ।
भीगी चोली तंग हुई छलकाती यौवन,
कोई गोरी आई, देखो होली में ।
नई नवेली दुल्हन हो या साठ बरस की,
कोई नहीं लजाई, देखो होली में ।
क्वारों की क्या कहिये, बुढ़ऊ के ऊपर भी,
नयी जवानी छाई, देखो होली में ।
माथे लगा अबीर, गुलाल लाल गालों पर,
पीवें सब ठंडाई, देखो होली में ।
जाति-पांति औ' मज़हब का भेद भुलाकर,
की रंग ने अगुआई, देखो होली में ।
फागुन मस्त महीना औ' आँखों मदिरा,
उसने 'मधुप' पिलाई, देखो होली में ।
------ डॉo
अशोक मधुप
(गीतकार, ग़ज़लकार, अभिनेता एवं
ज्योतिष विशेषज्ञ)
अध्यक्ष, कायाकल्प साहित्य-कला फाउंडेशन,
नोएडा।
9717456933
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