चटकती सी गुलाबों की कली सी मुस्कुराती हो |
किसी सरिता की कलकल सी थिरकती, खिलखिलाती हो|
नयन के रास्ते आकर मेरे दिल के समंदर में,
सितारों की तरह ख्वाबों में आकर जगमगाती हो ||
------डॉ. अशोक मधुप
अद्भुत
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