दिल से दिल को मिला लो यार, अबके होली में ।
आयी फागुन की मीठी बहार , अबके होली में ।
गली - गली में घुमें कन्हाई।
राधा गोपियन के संग आई।
साली - जीजा रंग में डूबे,
रंग में रँगे भैया - भौजाई।
बरसे घर - घर रंगों की फुहार, अबके होली में ।
दिल से दिल को मिला लो यार, अबके होली में ।
क्वारों संग बुढ़ऊ मस्तावैं ।
देवर बनि भौजी दौड़ावैं।
बुढ़ियों पर भी चढ़ी जवानी,
दौड़ - दौड़ के रंग लगावैं ।
देखो नई - नवेली भी गईं हार , अबके होली में ।
दिल से दिल को मिला लो यार, अबके होली में ।
रमुआ ले के घुमे अबीर।
लाल-गुलाल लगावें कबीर।
युवा तानि पिचकारी घूमें,
गोरी भी घूमें होके अधीर ।
मारैं पिचकारी की धार, अबके होली में ।
दिल से दिल को मिला लो यार, अबके होली में ।
जाति-पांति, रंजिश को भुलाकर।
हिन्दू-मुस्लिम भेद मिटाकर।
भंग, ठंडाई, मदिरा पीवें,
आपस में सब मेल-मिलाकर।
आयी फागुन की मीठी बहार , अबके होली में ।
गली - गली में घुमें कन्हाई।
राधा गोपियन के संग आई।
साली - जीजा रंग में डूबे,
रंग में रँगे भैया - भौजाई।
बरसे घर - घर रंगों की फुहार, अबके होली में ।
दिल से दिल को मिला लो यार, अबके होली में ।
क्वारों संग बुढ़ऊ मस्तावैं ।
देवर बनि भौजी दौड़ावैं।
बुढ़ियों पर भी चढ़ी जवानी,
दौड़ - दौड़ के रंग लगावैं ।
देखो नई - नवेली भी गईं हार , अबके होली में ।
दिल से दिल को मिला लो यार, अबके होली में ।
रमुआ ले के घुमे अबीर।
लाल-गुलाल लगावें कबीर।
युवा तानि पिचकारी घूमें,
गोरी भी घूमें होके अधीर ।
मारैं पिचकारी की धार, अबके होली में ।
दिल से दिल को मिला लो यार, अबके होली में ।
जाति-पांति, रंजिश को भुलाकर।
हिन्दू-मुस्लिम भेद मिटाकर।
भंग, ठंडाई, मदिरा पीवें,
आपस में सब मेल-मिलाकर।
दिल के सारे जला दो ख़ार, अबके होली में ।
दिल से दिल को मिला लो यार, अबके होली में ।
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डॉo अशोक मधुप
(गीतकार, ग़ज़लकार, अभिनेता एवं ज्योतिष-विशेषज्ञ)
अध्यक्ष, कायाकल्प साहित्य-कला फाउंडेशन, नोएडा ।
9717456933
(गीतकार, ग़ज़लकार, अभिनेता एवं ज्योतिष-विशेषज्ञ)
अध्यक्ष, कायाकल्प साहित्य-कला फाउंडेशन, नोएडा ।
9717456933
मधुप जी आपके ब्लॉग में आकर बहुत अच्छा लगा .होली की मधुर रचनायें पढ़ी ........बधाई और हाँ अपना ख्याल रखें .जल्दी स्वस्थ हों ऐसी कामना करती हूँ .पुस्तक के लिए बधाई .
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